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Friday, July 19, 2019


हाई-स्पीड इंटरनेट के साथ कैंसर और बांझपन भी दे सकता है 5G नेटवर्क

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भारत समेत पूरी दुनिया में नेक्स्ट जेनरेशन नेटवर्क
5जी पर तेजी से काम शुरू हो गया है। सैमसंग ने जहां अपना 5जी स्मार्टफोन बाजार में उतार दिया है, वहीं कई ऑटोमोबाइल कंपनियां 5जी इंटरनेट कनेक्टेड कार बाजार में पेश कर रही हैं। चीन ने 5जी के व्यावसायिक इस्तेमाल को हरी झंडी भी दे दी है। इसे चीन के टेलीकॉम क्षेत्र में एक नए युग का आरंभ कहा जा रहा है।
5जी की स्पीड को लेकर भी कहा जा रहा है कि इसके प्रयोग से सेकंडों में बड़ी-से-बड़ी फाइलें डाउनलोड हो जाएंगी। लेकिन इन सबके बीच 5जी के सेहत पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर भी चर्चा हो रही है। यहां तक कहा जा रहा है कि इस नेटवर्क से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं। तो आइए सेहत पर पड़ने वाले 5जी के प्रभाव के बारे में विस्तार से जानते हैं...
रशियन टाइम्स चैनल ने चलाया स्पेशल प्रोग्राम
रशियन टाइम्स चैनल ने कुछ दिन पहले ही अपने एक प्रोग्राम में 5जी को इंसानों और जीवों के लिए खतरा बताया। चैनल के पैनल में बैठे विशेषज्ञों ने दावा किया कि 5जी से राष्ट्र की सुरक्षा को भी खतरा है और इसका इंसानों की सेहत पर बहुत ही घातक प्रभाव पड़ेगा। रिपोर्ट में दिखाया गया था कि 5जी के रेडिएशन की वजह से दिमागी कैंसर, बांझपन और अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। हालांकि वैज्ञानिकों ने चैनल के इस दावे की पुष्टि नहीं की है और ना ही चैनल ने अपने दावे को साबित करने के लिए कोई वैज्ञानिक तर्क पेश किया है।
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                       5जी के साथ सेहत को लेकर क्या-क्या चिंताएं हैं?

सभी मोबाइल फोन में उपयोग किए जाने वाले विद्युत चुम्बकीय विकिरण को लेकर अलग-अलग देशों और लोगों की अलग-अलग राय हैं। कई विशेषज्ञों का दावा है कि 5जी के कारण कई प्रकार के कैंसर हो सकते हैं। साल 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मोबाइल फोन के नेटवर्क से सेहत को लेकर कोई खतरा नहीं है।

हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के हवाले से यह भी कहा है कि रेडियो फ्रीक्वेंसी रेडिएशन की वजह से कैंसर हो सकता है। बता दें कि मोबाइल सिग्नल रेडियो फ्रीक्वेंसी पर ही काम करते हैं।
नॉन-आयोनाइजिंग (गैर-आयनीकरण) होती हैं रेडियो तरंगें
आपमें से अधिकतर लोग जानते होंगे कि एक्सरे, एफएम रेडियो और कंप्यूटर से विकिरण निकलते हैं। ये विकिरण दो प्रकार के होते हैं। पहला आयोनाइजिंग और दूसरा  नॉन आयोनाइजिंग। नॉन आयोनाइजिंग विकिरण कमजोर होते हैं और ये मानव शरीर को केमिकल बॉन्ड्स को तोड़ने में सक्षम नहीं होते। एफएम रेडियो, मोबाइल और वाई-फाई नॉन आयोनाइजिंग की श्रेणी में आते हैं।
 वहीं आयोनाइजिंग श्रेणी में एक्सरे और गामा किरणें आती हैं जो सेहत के लिए खतरनाक हैं। अब इस हिसाब से 5जी सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं है लेकिन चौबीसों घंटे 5जी नेटवर्क के करीब होना सेहत के लिए ठीक नहीं है।


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